हम घटनाओं को नहीं, मगर उनके प्रति अपने दृष्टिकोण को बदल सकते हैं : बीके ओंकार चंद

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
छाया – युवराज सिंह।

‘खुशियां आपके द्वार’ शिविर के अंतिम दिन ‘अलविदा तनाव’ विषय पर हुई चर्चा।

कुरुक्षेत्र : ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय के डी.डी. कॉलोनी स्थित सेवाकेंद्र की ओर से सेक्टर-7 के शिव मंदिर मे आयोजित खुशियां आपके द्वार कार्यक्रम के तीसरे दिन माउंट आबू से पधारे विख्यात मोटिवेशनल वक्ता प्रो. बीके ओंकार चंद भाई ने सभी को तनाव मुक्त रहने के तरीके बताए। वे ‘अलविदा तनाव’ विषय पर अपने विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि हम घटनाओं को नहीं बदल सकते, लेकिन घटनाओं के प्रति अपने दृष्टिकोण को तो बदल ही सकते हैं। अपने को बेहतर बनाने के लिए इतना समय दें कि दूसरों की आलोचना करने के लिए आपके पास समय ही न हो। हर दिन को उत्सव बनाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि उत्साह के साथ हर दिन का प्रारंभ करें और प्रेम, प्रसन्नता के साथ समापन। कैसी भी परिस्थिति आ जाए, लेकिन हम अपने मन की स्थिरता नहीं बिगाड़ें। हर परिस्थिति में मन को शान्त रखने की कला सीख लें। जैसे आकाश में बादलों का आना जाना लगा रहता है, वैसे ही परिस्थितियां भी आती जाती रहती हैं। परिस्थितियों से घबराने की बजाए उन्हें परीक्षाएं समझ कर पार करें। अपने मन को मजबूत बनाने के लिए प्रतिदिन सवेरे अच्छे विचारों का भोजन मन को दें। मन के शान्त न होने से उसका दुष्प्रभाव हमारे शरीर पर भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि हम आज जीवन में इतना दौड़ रहे हैं कि हमारे पास पीछे रुक कर देखने का भी समय नहीं है कि मैं कहां दौड़ रहा हूं और क्यों दौड़ रहा हूं। क्या बाहरी प्रगति करना ही मेरा लक्ष्य है, ये हमें अपने भीतर देखने का समय ही नहीं है। उन्होंने बताया कि आध्यत्मिकता हमें अपने अन्दर झांकने के लिए प्रेरित करती है। जीवन में भरपूरता, संतुष्टता और ख़ुशी केवल आध्यत्मिकता से ही आ सकती है। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन और म्यूजिकल एक्सरसाइज़ के साथ किया गया।
रोहतक कंज्यूमर फॉर्म के चेयरमैन भूपेंद्र नाथ शर्मा बतौर मुख्यतिथि कार्यक्रम मे पधारे। ब्रह्माकुमारीज़ सेवा केंद्र की संचालिका बीके शकुंतला बहन ने कहा कि आज हमारा मन सारा दिन दूसरों को सुधारने के कार्य में ही लगा रहता है। अब क्या दूसरों को बदलना मेरे कन्ट्रोल में है। जब हम दूसरों को बदलने की सोचते हैं, तो हमारी आत्मा की शक्ति घटती जाती है। राजयोग हमें सही सोचने, बोलने व करने की विधि सिखाता है और ब्रह्माकुमारीज़ के प्रत्येक सेवा केंद्र पर राजयोग मैडिटेशन निशुल्क सिखाया जाता है। आज 200 से अधिक लोगों ने कार्यक्रम का लाभ लिया।

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