ध्रुव के ध्रुव भगत बनने की कहानी बता गया हरियाणवी सांग उत्तानपात

कला कीर्ति भवन में आयोजित साप्ताहिक संध्या में सांग उत्तानपात का हुआ सफल मंचन।
कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 13 सितम्बर : हरियाणा कला परिषद द्वारा कला कीर्ति भवन में आयोजित की जाने वाली साप्ताहिक संध्या मे सांग राजा उत्तानपात का मंचन किया गया। जिसमें करनाल के सांगी विष्णु पहलवान ने राजा उत्तानपात और ध्रुव भगत के किस्से को सांग में प्रस्तुत किया। इस अवसर पर ब्राहमण धर्मशाला के प्रधान पवन शर्मा बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। हरियाणा कला परिषद के कार्यालय प्रभारी धर्मपाल गुगलानी तथा निदेशक नागेंद्र शर्मा के नीजी सहायक विशाल चोपडा पुष्पगुच्छ भेंट कर मुख्य अतिथि का स्वागत किया। दीप प्रज्वलन के बाद मुख्य अतिथि पवन शर्मा ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणवी सांग विभिन्न किस्सों तथा कहानियों को सहजता के साथ लोगों तक पहुंचाता है। नृत्य, अभिनय तथा संगीत के संगम के साथ कलाकार सांग मंचन के साथ समाज को सीख देने का भी काम करते हैं। हरियाणा कला परिषद द्वारा हरियाणा की परम्पराओं और लोक कलाओं को जिंदा रखने का सराहनीय काम किया जा रहा है। मंच का संचालक विकास शर्मा ने किया। सांग में कलाकारों ने दिखाया कि अवधपुरी में राजा उत्तानपात राज करते हैं। जिसकी सनेहगढ़ में रानी सुनीती के साथ शादी होती है। काफी दिन बीतने के बाद उनकी कोई संतान नहीं होती। एक दिन रानी उदासी में बैठी थी कि नारदजी आते हैं और पूछते हैं कि आप उदास क्यों हैं। रानी सुनीति बताती है कि रोउ सूं रंग महल में, मेरे हुई नहीं कोई संतान तो नारद ने पति का दोबारा ब्याह करवाने की बात कही। इसके बाद रानी ने अपनी छोटी बहन सुरुचि की शादी अपने पति से करवाने के लिए अपनी मां को मनाया और बहन की शादी राजा से करवाई, लेकिन बहन इस शादी से खुश नहीं थी, क्योंकि उसकी शादी बूढ़े राजा से हो रही थी। इसका बदला लेने के लिए उसकी बहन ने राजा से बीच फेरों में चार वचन भरवाए और चौथे वचन में अपनी बहन को राजपाठ से बाहर जंगल में छोड़ने की बात मनवाली। रानी सुरूचि से राजा को संतान हो इसलिए सुनीति खुशी से जंगल में चली गई। कुछ दिन बाद राजा शिकार खेलने जाता है और रास्ते में तूफान आ जाता है। राजा तूफान से बचने के लिए रानी सुनीति की कुटिया में पनाह लेता है। जहां रात्रि मिलन से रानी सुनीति को ध्रुव के रुप में बेटा प्राप्त होता है उधर छोटी रानी से बेटा उत्तम पैदा होता है। एक दिन उत्तम का जन्मदिन होता है और राज्य में ढोल की आवाज सुनकर ध्रुव भी राजमहल में जाने की इच्छा प्रकट करता है। लेकिन उसकी मां मना कर देती है। मां की बात को अनसुना करके ध्रुव चला जाता है और जाकर राजा की गोद में बैठ जाता है। राजा जब ध्रुव से उसका परिचय पूछता है तो वह बताता है कि वह उतान पात का लड़का है। मां का नाम सुनीती है जो महल में दूर रहती है। छोटी रानी ने यह सुनकर उसको लात मार दी। अगर गद्दी पर बैठना है तो मेरे गर्भ से पैदा होता। ध्रुव कहता है कि राज लेंगे तो भगवान से मांगेगे। इतना कहकर ध्रुव चला जाता है। महल से जाने के बाद ध्रुव भगवान की तपस्या में लीन हो जाता है और ईश्वर की भक्ति प्राप्त करने के बाद ध्रुव भगत के रूप में प्रसिद्ध होता है। सांग के दौरान मुख्य अतिथि ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया, वहीं हरियाणा कला परिषद की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर मुख्यअतिथि का आभार व्यक्त किया गया।