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गर्मी में सब्जियों की बुवाई डोल और नालियां बनाकर करना भू जल संरक्षण में सहायक हो सकता है

गर्मी में सब्जियों की बुवाई डोल और नालियां बनाकर करना भू जल संरक्षण में सहायक हो सकता है।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

निरंतर गिरते भू जल स्तर पर किसानों और कृषि विशेषज्ञों को है चिंता।

कुरुक्षेत्र, 21 अप्रैल : कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार कुरुक्षेत्र सहित हरियाणा के विभिन्न जिलों में गिरता भू जल स्तर चिंता का विषय बना हुआ है। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह के अनुसार अगर अभी भी इस ओर ध्यान न दिया तो भविष्य स्थिति इससे भी अधिक चिंता जनक हो सकती है। उन्होंने कहा कि चाहे सरकार ने किसानों को जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चलाया है लेकिन किसानों को भी भविष्य के खतरे को समझने की आवश्यकता है। डा. सिंह ने बताया कि स्थिति से निपटने के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों के अनुसंधान में लगे हुए हैं। उन्होंने स्थिति को समझते हुए गिरते भू जल स्तर से बचने तथा पानी की बचत के लिए गर्मी में सब्जियों की खेती डोल बनाकर तथा नालियां बनाकर करने की सलाह दी है। डा. सिंह के अनुसार कई किसान फसलों की कटाई के बाद खेत में किसी फसल की बुवाई नहीं करते हैं। वे खेत को खाली छोड़ देते हैं। मगर ऐसा करने से अच्छा है कि किसान गर्मियों के दिनों में खेत खाली रखने की जगह सब्जियों की खेती करें। इससे खेत में पोषक तत्व की कमी नहीं हो पाएगी। डा. सिंह के अनुसार इस मौसम में खेतों के कुछ हिस्सों में सब्जियों की बुवाई करके अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि गर्मियों में किसान लौकी, तोरी, पेठा, खीरा, टिंडा, करेला, बैंगन, मिर्च, गोभी सहित कई अन्य सब्जियों की खेती कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इन सब्जियों की बुवाई जून तक की जाती है। विशेषकर किसानों को करेला, लौकी, तोरई की खेती करनी चाहिए। गर्मियों में इन सब्जियों की मांग अधिक होती है। डा. सिंह के अनुसार सब्जियों की अगेती खेती से काफी अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन सब्जियों की पहले पौधे तैयार की जाती है। इसके बाद खेत में पौध रोपण होता है। इस तरह फसलों की पैदावार अच्छी होती है। किसान इस तरह की खेती के लिए किसान कृषि विभाग द्वारा प्रशिक्षण ले सकते हैं। इसके साथ ही खाद और कीटनाशक दवा का छिड़काव की जानकारी भी देते हैं।
सब्जियां की खेती बारे जानकारी देते हुए कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह।

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