खुशी के दो छोर हैं प्रेम और आनन्द : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
कुरुक्षेत्र : श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली के पीठाधीश और समर्थगुरू मैत्री संघ हिमाचल के जोनल कोऑर्डिनेटर आचार्य डॉ. मिश्रा श्री दुर्गा मां के संकीर्तन और हरियाणा के पूर्व मंत्री के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में हरियाणा के पूर्व मंत्री सुभाष सुधा, पार्षद पंकज खन्ना और उनकी टीम को आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया द्वारा रचित श्री सिद्धार्थ रामायण और श्रीमद्भगवद्गीता भेंट की गई और लाल चुनरी द्वारा सभी अतिथियों को पीठाधीश डॉ. सुरेश मिश्रा ने सम्मानित किया।
सभी के अच्छे जीवन और परिवार की सुख समृद्धि के लिए भगवान से मंगल प्रार्थना और मां दुर्गा की आरती के साथ ध्यान करवाया गया।
इस शुभ अवसर पर निशा अरोड़ा, कोमल मेहरा, पायल सैनी,आशा कवात्रा, शिमला धीमान, भक्त सुशील तलवाड़ और संगीता तलवाड़ के साथ सभी भक्तों ने मां दुर्गा की भेंटे गाई और सुन्दर नृत्य किया।
पण्डित राहुल मिश्रा ने वैदिक मंत्रों से मां दुर्गा की पूजा अर्चना और आरती करवाई।
सुरजीत कौर, अनु पाहवा, निशा अरोड़ा, सुरेन्द्र कौर, पायल सैनी,कोमल मेहरा,आशा कवात्रा, सुमित्रा पाहवा , सतपाल शर्मा, महेश तनेजा, सतपाल सैनी , सतपाल धर्मशोत और महेंद्र सैनी आदि के साथ सभी भक्तों का सराहनीय योगदान रहा।
ट्विटर के माध्यम से समर्थगुरु धाम संस्थान के संस्थापक आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने बताया कि तृष्णा क्या है ? तृष्णा है अधिक से अधिक साधन-सुविधा प्राप्त कर लेंगे, तो हम सुखी हो जाएंगे। अधिक से अधिक धन संग्रह हमें सुखी कर देगा, यह भ्रम है, यह संशय है, यह तृष्णा है।
खुशी के दो छोर हैं- प्रेम और आनन्द। प्रेम गोविंद से और आनन्द आत्मभाव से। संत धरमदास जी कहते हैं- ‘प्रेम अनन्द होय साधु नहाय।’