अम्बेडकर नगर | नौजवान भारत सभा सिंघलपट्टी द्वारा फ़ातिमा शेख़ के जन्मदिवस 9 जनवरी पर नेवारी दुराजपुर (जहांगीरगंज) में पैदल मार्च निकालकर जगह नुक्कड़ सभा की गयी। इस दौरान नौजवान भारत सभा के मित्रसेन ने कहा कि फ़ातिमा शेख भारत की प्रथम महिला शिक्षिकाओं में थीं। फ़ातिमाशेख़ ने अपने भाई उस्मान शेख की प्रेरणा पर पढ़ना-लिखना सीखा और सावित्रीबाई फुले के कार्य में उनकी अनन्य सहयोगी बनीं ज़्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले को ब्राह्मणवादी ताकतों के विरोध और दबाव के चलते अपना घर छोड़ना पड़ा तो उस्मान शेख ने अपने घर में उन्हें जगह दी और वहीं पर महिलाओं के लिए स्कूल की शुरुआत की। सावित्रीबाई फुले की तरह, फ़ातिमा शेख का कोई उल्लेख नहीं होता लेकिन सावित्रीबाई फुले ने अपने पत्रों में फ़ातिमा शेख का जिक्र किया है।
सावित्रीबाई फुले और फ़ातिमा शेख अलग-अलग धर्मों की थीं लेकिन उन्होंने मिलकर अपने दौर में लड़कियों की शिक्षा के लिए संघर्ष किया। फ़ातिमा शेख और सावित्रीबाई फुले के संघर्ष का दौर वही था जब अंग्रेज़ों ने देश में साम्प्रदायिकता के बीज बोने शुरू किए थे। नौजवान भारत सभा के आकाश ने कहा की पूरे देश में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच नफ़रत की दीवार खड़ी की जा रही है जिससे जनता को असली सवालों से हटाकर आपस में लड़ाया जा सके और अपने पूँजीपति घरानों की सेवा की जा सके। इन फ़ासीवादी ताकतों के खिलाफ़ संघर्ष में फ़ातिमा शेख और सावित्रीबाई फुले जैसे नायकों और उनके संघर्ष को लोगों के बीच में स्थापित करने की ज़रूरत बहुत ज़्यादा है ।नौजवान भारत सभा के विन्द्रेश ने कहा कि सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति द्वारा शिक्षा को कॉरपोरेट घरानों के हवाले किया जा रहा है। सावित्रीबाई फुले और फ़ातिमा शेख ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार, सामाजिक कुरीतियों-अन्धविश्वासों के खिलाफ़ लड़ने का जो बीड़ा उठाया था; वह हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। इस दौरान कार्यक्रम में बलदेव, हरिश्याम, रामधनी ,अच्छेलाल, गौरव,अर्जुन,शुभम ,नागेंद्र,मानधाता,रविन्दर,प्रेमचन्द, किशन, रेहान,अंकिता,वासुदेव,परदेशी,लालबहादुर,रामउजागिर,विन्द्रेश,जोखन आदि लोग सम्मिलित रहे।