हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 11 जनवरी :- मां भगवती मां पीताबंरा देवी मंदिर शीला नगर में श्रीमद् भागवत कथा मंगलवार को कथावाचक आर्यमन कौशिक महाराज ने भीष्म पितामह जी की मुक्ति व कुंती जी की मुक्ति का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि कथा जीवन में जीने की कला तथा मृत्यु के उपरांत मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। कलिकाल में केवल भागवत कथा ही मोक्ष प्रदान कराने वाली है और अन्य कोई साधन नहीं है। कथावाचक आर्यमन कौशिक ने बताया कि भीष्म पुराणों के बहुत बड़े ज्ञाता थे। भीष्म जब महाभारत युद्ध के 10 वें दिन घायल होकर गिर पड़े तो उस समय सूर्य दक्षिणायन था, इसलिए वे परलोक नहीं जाना चाहते थे। उन्हें पिता शांतनु से इच्छा-मृत्यु का वरदान मिला हुआ था, लिहाजा वे अर्जुन द्वारा बनाई गई बाणों की शय्या पर ही लेटे रहे। युद्ध समाप्त होने के बाद जब सूर्य उत्तरायण हो गए, तब माघ मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही भीष्म ने अपने प्राण त्यागे। मंदिर के पुजारी पंडित राजेश वत्स ने बताया कि कथा का आयोजन केडीएस पिपल केयर की ओर से किया जा रहा है। केडीएस पिपल केयर के ट्रस्टी दीपक शर्मा व पवन गौतम ने बताया कि उनकी संस्था द्वारा अनेक सामाजिक कार्य किए जाते है जिनमें गरीब कन्याओं का विवाह करवाना, निशुल्क दवाईयां वितरित करना, जरुरतमंदों को कपड़े वितरित करना व संकीर्तन के माध्यम से सनातन धर्म का प्रचार करना आदि शामिल है।
कथा के दौरान आरती करते श्रद्धालु।