बढ़ती उम्र,गलत खान-पान और जीवनशैली की वजह से बढ़ रही युवाओं में आर्थराइटिस की समस्याएं : डॉ. अनेजा

बढ़ती उम्र,गलत खान-पान और जीवनशैली की वजह से बढ़ रही युवाओं में आर्थराइटिस की समस्याएं : डॉ. अनेजा
कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक : वरिष्ठ चिकित्सक अधिकारी, एडमिनिस्ट्रेटर एवं आरोग्य भारती सदस्य डॉ. अनेजा ने बताया कि वर्ल्ड आर्थराइटिस डे हर साल 12 अक्टूबर को मनाया जाता है। आर्थराइटिस आज एक सामान्य बीमारी बन चुकी है, जिससे केवल बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में 25 से 30 वर्ष की आयु में भी युवाओं में घुटनों और जोड़ों के दर्द की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यह अब केवल उम्र से जुड़ी नहीं, बल्कि एक लाइफस्टाइल डिज़ीज़ बन चुकी है।
डॉ. अनेजा के अनुसार, नई पीढ़ी की सबसे बड़ी समस्या चलने-फिरने की कमी और गलत खान-पान है। अधिकतर युवा लंबे समय तक बैठे रहते हैं, जिससे शरीर में लचीलापन कम होता है और जोड़ों पर दबाव बढ़ता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह स्थिति जारी रही तो आने वाले वर्षों में भारत एक ऐसी पीढ़ी देखेगा जो 40 वर्ष की उम्र से पहले ही ऑस्टियोआर्थराइटिस से जूझ रही होगी।
आर्थराइटिस क्या होता है: डॉ. अनेजा बताते हैं कि आर्थराइटिस जोड़ों की सूजन की स्थिति है, जिसमें दर्द, सूजन, जकड़न और मूवमेंट में कठिनाई होती है। यह शरीर के किसी भी जोड़ जैसे घुटने, कंधे, उंगलियां, या गर्दन को प्रभावित कर सकता है।
मुख्य लक्षण: सुबह उठने पर जोड़ों में जकड़न या दर्द महसूस होना, सूजन या हल्की गर्माहट आना, सीढ़ियां चढ़ने या झुकने में तकलीफ, और थकान या कमजोरी जैसे लक्षण प्रमुख हैं।
क्या यह सिर्फ बुजुर्गों को होता है? नहीं – डॉ. अनेजा का कहना है कि अब यह समस्या युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है। गलत जीवनशैली, मोटापा, पोषण की कमी और लंबे समय तक बैठे रहने की आदत से युवा भी आर्थराइटिस की चपेट में आ रहे हैं।
बचाव के उपाय:
नियमित व्यायाम और स्ट्रेचिंग करें,वजन नियंत्रित रखें, आहार में कैल्शियम, विटामिन D और ओमेगा-3 शामिल करें, लंबे समय तक एक ही पोज़िशन में न बैठें, और ठंडे मौसम में जोड़ों को गर्म रखें।
निष्कर्ष: डॉ. अनेजा ने कहा कि जोड़ों के दर्द से राहत के लिए दवाओं के साथ-साथ योग भी एक प्रभावी उपाय है। योग शरीर को लचीला बनाता है, जोड़ों की गतिशीलता बढ़ाता है और दर्द व अकड़न को कम करता है। उन्होंने सलाह दी कि योग हमेशा डॉक्टर की देखरेख में हल्के आसनों से शुरुआत करनी चाहिए। लगातार अभ्यास से ही इसका असर दिखता है।




