कैंसर जैसे रोग से बचने और मुकाबला करने के लिए दृढ इच्छा शक्ति जरूरी : डा. कनिका शर्मा

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कैंसर से बचाव के लिए ना करे धुम्रपान, रोजाना करे व्यायाम, फल और सब्जियों को करे उपयोग, बायोप्सी नहीं बनता कैंसर का कारण।
कुरुक्षेत्र 3 फरवरी : कैंसर विशेषज्ञ डा. कनिका शर्मा ने कहा कि कैंसर जैसे रोग से समय रहते बचा जा सकता है और कैंसर होने के बाद किसी को घबराने की जरूरत नहीं है अपितु इस बीमारी से लडने के लिए इच्छा शक्ति होनी जरूरी है। अहम पहलु यह है कि बायोप्सी (सुई प्रशिक्षण) कैंसर के प्रसार का कारण नही बनता है।
कैंसर विशेषज्ञ डा. कनिका शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कैंसर एक खतरनाक बीमारी है और अभी भी भारत में लोग कैंसर के बारे में चर्चा करने में असहेज महसूस करते है। इस बीमारी की जागरूकता की कमी के कारण बहुत सारी भ्रांतिया और मिथक नागरिकों में फैले हुए है। उन्होंने कहा कि बायोप्सी कैंसर के बारे में जानने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस प्रशिक्षण के लिए टयूमर से टीशू का एक टूकड़ा लिया जाता है यह टिशु माइक्रोस्कॉप के नीचे देखा जाता है। बायोप्सी के परिणाम कैंसर के सही उपचार योजना में मददगार साबित होते है। यह टेस्ट कैंसर की पुष्टिï का एक मात्र तरीका है। डाक्टर ने कीमोथैरेपी दवाओं को नशों में दिया जाता है लेकिन कुछ का मासपेशियों में या त्वचा के नीचे इंजैक्शन दिया जाता है। कई बार कीमोथैरेपी दवाओं को गोली के रूप में भी निगला जा सकता है। इससे कभी भी दर्द नहीं होता।
उन्होंने कहा कि आहार में चीनी अधिमानत अन्य कौशिकाओं पर टयूमर खिलाती है। कैंसर जैसी कौशिकाओं सहित सभी कौशिकाओं, उनके प्राथमिक इंधन के रूप में ग्लूकोज का उपयोग करे। ग्लूकोज सब्जियों, फलों, अनाज, डेयरी जैसे किसी भी भोजन से आता है। चीनी और कैंसर के जोखिम के बीच कोइ्र संबंध नहीं है। इतना ही नहीं कैंसर कुछ परिवारों में अधिक बार हो सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि परिवार के सदस्यों ने एक दूसरे को कैंसर फैलाया है। उन्होंने कहा कि कैंसर मौत की सजा नहीं है, कैंसर रोके जा सकते है। इस बीमारी के शुरूआती दौर में पता लगने पर कैंसर का इलाज किया जा सकता है। इस बीमारी के अग्रिम चरण में भी इलाज योग्य है।
कैंसर विशेषज्ञ ने कहा कि सुपर फूड शब्द का उपयोग उन खादय पदार्थों के लिए किया जाता है जो स्वास्थ्य में सुधार करने और कैंसर जैसी बीमारियों को रोकने के लिए मदद करने के लिए माना जाता है। यह एक सच है कि एक स्वस्थ, संतुलित आहार कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। लेकिन यह संभावना नहीं है कि कोई भी एकल भोजन अपने आप में बहुत बड़ा अंतर लाएगा। उन्होंने कहा कि मानव शरीर पर मोबाईल फोन के उपयोग से कोई स्पष्टï रूप से स्थापित खतरनाक स्वास्थ्य प्रभाव नहीं है। इसके अलावा प्लास्टिक में कुछ रसायन ऐसी चीजों में प्रवेश कर जाते है जो हम खाते पीते है लेकिन स्तर बहुत कम है और एक सीमा में मनुष्य के लिए कम माना जाता है। प्लास्टिक का उपयोग कम होने से कैंसर के जोखिम पर कोई असर नहीं पडेगा।
उन्होंंने कहा कि दूध, दहीं, पनीर, प्रोटीन, विटामिन, कैलश्यिम का अच्छा स्त्रोत है जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए दूध और दूध उत्पादों का प्रयोग पेट के कैंसर की घटनाओं को कम कर सकता है। उन्होंने कहा कि सभी को रोजाना व्यायाम और कसरत करनी चाहिए तथा धुम्रपान कभी नहीं करना चाहिए।