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छुट्टी के दिन युवाओं ने नए आपराधिक कानून पर आधारित प्रदर्शनी से जाने बदलाव : विश्राम कुमार मीणा

नए आपराधिक कानूनों से 112 दिन में हत्या के अपराधी को सजा सुनाकर जेल की सलाखों में भेजना हुआ संभव।

कुरुक्षेत्र, संजीव कुमारी 5 अक्टूबर : उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने कहा कि 1 जुलाई 2024 से भारतीय न्याय संहिता को लागू किया गया था, जिन्हें नए आपराधिक कानून भी कहा जाता है। नए आपराधिक कानूनों के सकारात्मक परिवर्तनों और परिणामों पर केडीबी मेला ग्राउंड में 3 अक्टूबर से प्रदर्शनी लगी हुई है। रविवार को छुट्टी के दिन भी इस प्रदर्शनी में परिवर्तनों को जानने के लिए भारी संख्या में युवा पहुंच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नागरिकों को इन कानूनों में दंड की जगह न्याय, गरीब से गरीब नागरिक को सम्मान, संपत्ति और सुरक्षा मिले। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी देखोगे तो मालूम पड़ेगा कि 112 दिन में हत्या के अपराधी को सजा सुनाकर जेल की सलाखों में भेजा गया है। जो अपराधी बॉड नहीं भर सकते थे, सालों जेल में रहते थे। अब नए कानून में एक तिहाई सजा होने पर जेल खुद उनकी सजा माफ करवाने की अर्जी लगाएगी।
उन्होंने कहा कि अब पुलिस तथ्य जुटाने पर काम कर रही है। सरकार इसमें कई प्रावधान लेकर आई हैं, इनमें सिटीजन, डिग्निटी व कानून को शामिल किया है। अब पुलिस डंडे की जगह डाटा जुटाने पर काम कर रही है, थर्ड डिग्री की जग साइंटिफिक तथ्यों को एकत्रित करने पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कानूनों के माध्यम से पुलिस, जेल, न्यायपालिका, अभियोजन और फोरेंसिक सभी पांचों को ऑनलाइन जोड़ दिया गया है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों के लिए अलग से कानून बनाया गया है। सभी बिंदुओं की वीडियोग्राफी सुनिश्चित कर दी गई है। सात साल से ज्यादा के अपराधों में फोरेंसिक जांच को सुनिश्चित कर दिया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद, मॉबलिंचिंग, डिजिटल अपराध और समय सीमा का निर्धारण भी जोड़ा गया है। अब एक जगह पर पुलिस, न्याय और प्रोशिक्यूशन को एकत्रित किया गया है।

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