कुवि के पूर्व कुलसचिव व पूर्व डीन अकेडमिक प्रो. राघवेन्द्र तंवर भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष नियुक्त

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

उनकी नियुक्ति पर कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने दी बधाई।

कुरुक्षेत्र, 10 जनवरी :- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव व पूर्व डीन अकेडमिक अफेयर्स प्रो. डॉ. राघवेन्द्र तंवर को भारत सरकार द्वारा भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उन्हें भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद् के अध्यक्ष पद पर तीन वर्ष के लिए नियुक्त किया गया है। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने प्रो. राघवेन्द्र तंवर को भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद का अध्यक्ष बनने पर बधाई देते हुए कहा कि यह उनके साथ-साथ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के लिए भी गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रो. राघवेन्द्र तंवर ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अपने 40 वर्षों के सेवाकाल में कुलसचिव, डीन अकेडमिक अफेयर्स, छात्र कल्याण अधिष्ठाता, डीन्स सोशल साइंस, इतिहास विभागाध्यक्ष व प्रोफेसर एमेरिट्स जैसे अहम् पदों पर कार्य करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को बुलन्दियों पर पहुंचाया है। सेवानिवृत्ति के बाद वर्तमान में प्रो. राघवेन्द्र तंवर हरियाणा इतिहास और संस्कृति अकादमी के निदेशक के पद पर कार्यरत है।
गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के विभाजन पर इतिहास से संबंधित अन्य पहलुओं के बारे शिक्षाविद् एवं लेखक प्रो. राघवेन्द्र तंवर के कार्यों की सराहना की थी तथा उनकी पुस्तक का विमोचन भी किया था।इतिहास के क्षेत्र में प्रो. तंवर को अभूतपूर्व योगदान है। अगस्त 1977 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में व्याख्याता के रूप में शामिल हुए डॉ. राघवेन्द्र तंवर का एमए इतिहास में दो स्वर्ण पदक के साथ एक उत्कृष्ट अकादमिक रिकॉर्ड है। उन्हें 1997 में एक ओपन सिलेक्शन प्रोफेसर नियुक्त किया गया था और उन्होंने विश्वविद्यालय के डीन अकादमिक मामलों और डीन सोशल साइंसेज के रूप में भी काम किया है। वह फरवरी 2015 में सेवानिवृत्त हुए और जुलाई 2016 में उन्हें हरियाणा इतिहास और संस्कृति अकादमी का निदेशक नियुक्त किया गया। तंवर को प्रतिष्ठित यूजीसी नेशनल फेलोशिप (रिसर्च अवार्ड) 2002-2005 से सम्मानित किया गया। उन्होंने 2013-15 में 1947-53 की अवधि के लिए जम्मू और कश्मीर पर एक प्रमुख शोध परियोजना का संचालन किया।
डॉ. तंवर भारत के विभाजन विशेष रूप से पंजाब के अपने अध्ययन कार्य के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत और ब्रिटेन के स्रोतों पर आधारित 1947 में जो कुछ हुआ उसकी यह दैनिक रिपोर्टिंग है और व्यापक रूप से प्रशंसित है। जम्मू और कश्मीर पर उनके शोध और प्रकाशन ने विशेष रूप से पश्चिमी विद्वानों द्वारा प्रमुख आख्यानों पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया और स्थापित किया कि कैसे कश्मीर की जनता स्पष्ट रूप से 1947 में भारत संघ के साथ राज्य के विलय के समर्थन में थी। तंवर का सबसे हालिया अध्ययन एक सचित्र भारत के विभाजन की कहानी, प्रकाशन विभाग, भारत सरकार द्वारा अंग्रेजी और हिंदू में प्रकाशित है। उनके पास बंसी लाल की सचित्र जीवनी और सर छोटू राम सहित कई अन्य दुलर्भ प्रमुख प्रकाशन हैं।

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