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श्री नीलकंठ सेवा सभा फिरोजपुर में दिव्या ज्योति जागृती संस्थान की ओर साध्वी दीपिका भारती जी ने भगवान श्री शिव की महिमा का किया गुणगान

श्री नीलकंठ सेवा सभा फिरोजपुर में दिव्या ज्योति जागृती संस्थान की ओर साध्वी दीपिका भारती जी ने भगवान श्री शिव की महिमा का किया गुणगान

(पंजाब) फिरोजपुर 26 अप्रैल [कैलाश शर्मा जिला विशेषण संवाददाता]=

चुंगी खाना रोड मंदिर श्री नील कंठ सेवा सभा फिरोजपुर में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से आयोजित तीन दिवसीय भगवान शिव कथा के प्रथम दिवस में सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्य कथाव्यास साध्वी दीपिका भारती जी ने कथा में उपस्थित भक्त जनों को भगवान शिव की महिमा का रसपान करवाया। कथा का शुभ आरंभ प्रभु की पावन ज्योति प्रज्वलित करके किया गया। ज्योति प्रज्वलित की रस्म में श्री कमलेश वोहरा प्रधान नीलकंठ मंदिर कमेटी एवं मंदिर कमेटी के सभी सदस्यों और श्री चंद्र मोहन हांडा पूर्व पार्षद , श्री मुनीश शर्मा; पार्षद और सनातन धर्म,महावीर दल मंदिर के प्रधान, अधिवक्ता श्री पृथ्वी पुग्गल शामिल हुए। कथा के प्रथम दिवस में साध्वी जी ने माता सती जी का प्रसंग संगत के समक्ष प्रकट किया, उन्होंने बताया कि जब ब्रह्मदेव की आज्ञा को पाकर राजा दक्ष ने माता सती का विवाह भगवान शिव के साथ कर दिया , माता सती और भगवान शिव कैलाश पर्वत पर समय व्यतीत करते हुए एक दिन पर पृथ्वी पर भ्रमण करने के लिए निकले। जब भगवान शिव और माता सती जी पृथ्वी भ्रमण करते हुए ऋषि अगस्त्य के आश्रम में पहुंचे। भगवान शिव ने ऋषि अगस्त्य से अनुरोध किया कि वह श्री हरि जो इस समय पृथ्वी पर नर लीला कर रहे हैं उनकी कथा का रसपान करवाएं। भगवान के अनुरोध पर ऋषि अगस्त्य ने उनको श्री हरि की कथा का रसपान करवाया । कथा रसपान के बाद जब वह आकाश मार्ग से वापस लौट रहे थे तो माता सती के मन में भगवान श्री हरि जो इस समय भगवान राम के रूप में लीला कर रहे थे उनके प्रति मन में संशय आ गया। माता सती का दुर्भाग्य था के वे इन चर्म चक्षुओं से भगवान को समझने का पर्यटन के रही हैं, भगवान शिव के समझाने पर भी उनका संशय दूर नहीं हुआ। जिसका परिणाम माता सती को बाद में भगवान शिव से दूर रहकर मिला।
साध्वी करमाली भारती जी ने बताया कि ऐसे ही हम जब इन बाहरी चक्षुओं से भगवान को समझने का प्रयास करते हैं तो हमारे मन में भी बहुत बार संशय आ जाता है। उन्होंने बताया कि भगवान को इन बाहरी चक्षु से नहीं समझा जा सकता। ईश्वर जब इस धरा पर अवतरित होते हैं तो वह कई तरह की लीला करते हैं जिसे हम इन चर्म चक्षुओं से नहीं समझ सकते। उसको समझने के लिए हमें भगवान शिव के जैसे दिव्य दृष्टि की आवश्यकता पड़ती है।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए निर्दोष भारतीयों के लिए साध्वी जी ने संस्थान की ओर से संवेदना प्रकट की। उन्होंने बताया कि जिहाद के नाम पर मासूम लोगों को मारने वालों को देश कभी भी माफ नहीं करेगा। जिहाद का असली अर्थ तो है अपने अंदर की बुराइयों को मारना।
कथा हमें आगे बताती है कि कैसे राजा दक्ष के अहंकार के कारण माता सती को उनके ही यज्ञशाला में हो रहे यज्ञ में अपने आप को भस्म करना पड़ा और राजा दक्ष के अहंकार के कारण उसका विनाश हुआ। ऐसे ही हम भी जब अहंकार को अपने अंदर पा लेते हैं तो हमारा भी विनाश हो जाता है। अहंकार रुपी सर्प हमें अंदर से डसता चला जाता है और हमें पता भी नहीं चलता। इससे बचने के लिए हमें हमेशा भगवान के आगे प्रार्थना करनी चाहिए। कथा के दौरान साध्वी रमन भारती एवं बहन नैन्सी जी ने भगवान शिव की महिमा का भजनों के माध्यम गुणगान किया। साध्वी प्रभु ज्योति भारती , तारिका भारती, साध्वी जसप्रीत भारती जी ने भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया।

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