श्रीकृष्ण कृपा धाम में दीप प्रज्वलन के साथ प्रारंभ हुआ त्रिदिवसीय शरदोत्सव

सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, ब्यूरो चीफ – डॉ. गोपाल चतुर्वेदी – दूरभाष – 94161 91877
जीवात्मा व परमात्मा के रास रस के आनंद का केंद्र है शरद पूर्णिमा : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज।
वृन्दावन : परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण कृपा धाम में त्रिदिवसीय दिव्य व भव्य शरदोत्सव का शुभारंभ अनेक संतों-विद्वानों ने श्रीराधाकृष्ण के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके एवं पुष्प अर्पित करके किया। तत्पश्चात आयोजित सन्त-विद्वत सम्मेलन में भानुपुरा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा का चंद्रमा और उसकी उज्ज्वल चंद्रिका सभी को माधुर्य व आनंद की अनुभूति कराती है। शरद पूर्णिमा की दिव्य व भव्य रात्रि के चंद्रमा की चांदनी में अमृत समाहित होकर पृथ्वी पर बरसता है। इसीलिए शरद पूर्णिमा को शीत ऋतु का विशिष्ट पर्व कहा जाता है।
श्रीकृष्ण कृपा धाम के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा ग्रीष्म ऋतु से शरद ऋतु में प्रवेश का द्वार है। इसे भक्ति व प्रेम के रस का सागर भी माना गया है।शरद पूर्णिमा कन्हैया की वंशी का प्रेम नाद एवं जीवात्मा व परमात्मा के रास रस के आनंद का केंद्र है। इसीलिए इसे लोक कथाओं से लेकर शास्त्रों तक में शुभ व मंगलकारी बताया गया है।
श्रीपीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज एवं जगद्गुरु श्रीमद्विष्णुस्वामी विजयराम देवाचार्य भैयाजी महाराज (वल्लभगढ़ वाले) ने कहा कि शरद पूर्णिमा जितनी पावन व पुनीत किसी भी ऋतु की कोई रात्रि नहीं है। शरद पूर्णिमा महालक्ष्मी का भी पर्व है। ऐसी मान्यता है कि धन संपति की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी शरद पूर्णिमा की रात्रि में पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। अत: यह लक्ष्मी पूजा का भी पर्व है।
सेवा मंगलम् के अध्यक्ष सन्त प्रवर स्वामी गोविंदानंद तीर्थ महाराज एवं आचार्य विवेक मुनि महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा की महिमा इतनी अधिक है कि इस तिथि को देवराज इंद्र तक ने मां महालक्ष्मी की स्तुति की थी। क्योंकि महालक्ष्मी धन के अतिरिक्त यश, उन्नति, सौभाग्य व सौंदर्य आदि की भी देवी हैं।
उत्तरप्रदेश शासन के पूर्व गृह सचिव मणिप्रसाद मिश्रा व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि शरद पूर्णिमा जीवन को एक नई प्रेरणा देने के साथ- साथ जीवन के उत्थान का आधार और उसे सही दिशा दिखाने का माध्यम भी है। इसीलिए इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
सन्त-विद्वत सम्मेलन में महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानन्द गिरि महाराज, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजा कांत मिश्र, महामंडलेश्वर स्वामी नवल गिरि महाराज, गोरे दाउजी आश्रम के महंत प्रह्लाद दास महाराज, सन्त सेवानंद ब्रह्मचारी, आचार्य रामविलास चतुर्वेदी, भागवताचार्य श्रीराम मुद्गल महाराज, डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री महाराज, डॉ. राधाकांत शर्मा, वासुदेव शरण, शक्ति स्वरूप ब्रह्मचारी, भजन गायक रतन रसिक, दयानन्द बेनीवाल (हिसार, हरियाणा), अशोक चावला आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।