बिहार:पीडियाट्रिक कोविड मैनेजमेंट विषय पर स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

पीडियाट्रिक कोविड मैनेजमेंट विषय पर स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

-संक्रमण के तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए बच्चों के समुचित स्वास्थ्य देखभाल जरूरी
-पीएचसी स्तर के विशेषज्ञ चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों को ने लिया प्रशिक्षण में भाग

अररिया

छोटे उम्र के बच्चों को कोरोना संक्रमण के खतरों से बचाना जरूरी है। बड़े-बुजुर्गों की तुलना में बच्चों के संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। जिले में संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। लिहाजा बच्चों की सेहत व स्वास्थ्य महत्वपूर्ण हो चुका है। इसे देखते हुए सदर अस्पताल सभागार में पीडियाट्रिक कोविड प्रबंधन विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन मंगलवार से शुरू हुआ। इसमें पीएचसी स्तर के एक विशेषज्ञ चिकित्सक के साथ दो एएनएम को विशेषज्ञों द्वारा जरूरी प्रशिक्षण दिया गया। ताकि संक्रमण के तीसरी लहर के संभावित खतरों के दौरान बच्चों की सेहत का समुचित ध्यान रखा जा सके व उन्हें संक्रमण से जुड़ी चुनौतियों से निजात दिलाया जा सके। केयर इंडिया की डीटीओएफ डोली वर्मा की देखरेख में प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल संचालन किया गया।

बच्चों के संक्रमित होने का खतरा अधिक :

कार्यक्रम में मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार, क्लिनिकल ट्रेनिक एक्सपर्ट शिवला सबास्टिन, जीएनएम ब्यूटी कुमारी व कुमारी खुशबू ने निभाया। मुख्य प्रशिक्षक डॉ राजेश कुमार ने बताया कि संबंधित कर्मियों को राजधानी पटना में पूर्व में जरूरी प्रशिक्षण दिया गया है। इसके बाद जिलास्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर प्रखंडस्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि अगर संक्रमण की तीसरी लहर अपना असर दिखाता है। तो इससे छोटे उम्र के बच्चे ही सबसे अधिक प्रभावित होंगे। इसे देखते हुए कर्मियों को प्रशिक्षित करते हुए चिकित्सा संस्थानों में आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने को लेकर जरूरी प्रयास किया जा रहा है।

बच्चों में संक्रमण का ससमय पता लगाना जरूरी :

क्लिनिक ट्रेनिंग एक्सपर्ट शिवला सबास्टिन ने बताया कि बच्चे की बीमारी की सही पहचान, उनका समुचित इलाज व प्रबंधन प्रशिक्षण का उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि कोरोना के लक्षण बच्चों व बड़ों में एक सामान होते हैं। बच्चे अपनी समस्या बता नहीं पाते। लक्षणों सामने आने से पूर्व संक्रमण की पहचान व इसके अनुसार उनका जरूरी इलाज के लिये कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। बच्चों में शारीरिक गतिविधियों की कमी, बच्चे का सुस्त होना, सांस तेज चलना, छाती का अंदर की तरफ धंस जाना,शरीर का नीला पड़ना, आंखों में खिचाव, संक्रमित व्यक्ति से किसी तरह से संपर्क में आने पर बच्चों के संक्रमित होने की संभावना होती है। ऐसे किसी भी लक्षण दिखने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में उनका समुचित इलाज जरूरी है।

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