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भगवान श्री परशुराम जी के मंदिर में हो रही श्रीमद् भागवत कथा में वेदव्यास स्वामी विनायक शास्त्री जी ने पूतना वध, कालिया नाग और गोवर्धन पूजा के प्रसंग सुनाए

भगवान श्री परशुराम जी के मंदिर में हो रही श्रीमद् भागवत कथा में वेदव्यास स्वामी विनायक शास्त्री जी ने पूतना वध, कालिया नाग और गोवर्धन पूजा के प्रसंग सुनाए

प्राचीन श्री शिवालय मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित करण त्रिपाठी और मंदिर कमेटी के सदस्यों की ओर से गोवर्धन पूजा पर खूबसूरत गार्डन पर्वत की झांकी और 56 प्रकार का भोग प्रसाद किया गया वितरण

सरदार परमिंदर सिंह (पिंकी) पूर्व विधायक, उनके साथ नगर कौंसिल के अध्यक्ष रिंकू ग्रोवर, पार्षद ऋषि शर्मा और गणमान्य अतिथियों ने कथा व्यास विनायक शास्त्री जी से आशीर्वाद प्राप्त किया।

(पंजाब) फिरोजपुर 28 अप्रैल {कैलाश शर्मा जिला विशेषण संवाददाता}=

नमक मंडी स्थित भगवान श्री परशुराम मंदिर में ब्राह्मण सभा की ओर से करवाई जा रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान वेदव्यास स्वामी विनायक शास्त्री ने अपने प्रवचनों में पूतना वध, कालिया नाग और गोवर्धन पूजा के प्रसंग सुनाए । अपनी वाणी को जारी करते हुए उन्होंने बताया की श्री कृष्णा ने बाल अवस्था में ही अपनी लीलाएं प्रारंभ कर दी थी श्रीमद्भागवत कथा के छठे स्कंध में पूतना बाल कृष्ण को मारने के लिए नंद भवन आती है और यशोदा से बाल कृष्ण को लेकर उन्हें दूध पिलाने के बहाने विश पिलाती है , जिसमें कालकूट नमक ज़हर लगा होता है। श्री कृष्ण उसे जहर को अपने शरीर में समाहित कर लेते हैं और पूतना को मार कर उनको समृद्धि प्रदान करते हैं । अगले स्कंध में शास्त्री वेदव्यास बताते हैं की कालिया नाग के यमुना में रहने के कारण यमुना जी का पानी बहुत काला हो गया था। नदी का पानी पीने से पशु पक्षियों की मौत हो जाती थी । गांव के लोग अपने बच्चों को नदी किनारे जाने से रोकते थे। भगवान श्री कृष्णा ने कालिया नाग को सबक सीखने के लिए लीला रची । एक दिन योजना के तहत यमुना किनारे अपने दोस्तों के साथ गेंद खेलने लगते हैं खेलते खेलते गेंद नदी में गिर जाती है श्री कृष्णा गेंद लेने के लिए नदी में जाते हैं परंतु उनके दोस्त उनको को जाने नहीं देते श्री कृष्णा उनकी बात ना मानते हुए नदी में प्रवेश करते हैं और कालिया नाग को सबक सिखाते हैं कालिया नाग की पत्नी के कहने पर श्री कृष्णा कालिया नाग को छोड़ देते हैं और यमुना में फैला जहर सोखने को कहते है । कालिया नाग यमुना में फैला जहर सोख लेते हैं और यमुना को छोड़कर कालिया नाग अपने परिवार के साथ समुद्र के बीच रमनदीप पर जाकर रहने लगता है । कथा व्यास ने बताया की भगवान सभी के प्रति दयालु और कृपावान होते हैं चाहे वह कितना भी दुष्ट क्यों ना हो भगवान का प्रेम सभी को मोक्ष प्रदान करता है । गोवर्धन कथा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो भगवान कृष्ण के चमत्कार और उनके भक्ति के प्रति दयालुता दर्शाती है। यह कथा हमें दर्शाती है कि भगवान की कृपा से हम किसी भी संकट से दूर हो सकते हैं और भगवान को प्रसन्न करने से हमें सुख और शांति की प्राप्ति होती है।भगवान अपने भक्तों मे आएं विकार को दूर करने के लिए उनके अंहकार को नष्ट करते हैं । कथावाचक विनायक शास्त्री ने इंद्रदेव का उदाहरण देते हुए कहा जब उन्हें अहंकार हो गया था तब भी श्री कृष्णा ने इंद्र की पूजा करने की बजाएं गिरिराज की पूजा करवाई। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने ब्रज मंडल पर भयंकर वर्षा की । भगवान कृष्ण लोगों की रक्षा के लिए आगे आए और अपनी कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया परंतु इंद्र अपने अहंकार में डूबा हुआ वर्षा करता रहा लेकिन श्री कृष्ण गोपाल अपनी कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत को सात दिन तक उठाए रहे ।बाद में इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और इंद्र ने श्री कृष्ण से अपनी गलती का एहसास कर क्षमा मांगी । इस दिन के बाद से हर वर्ष गोवर्धन पूजा का दीपावली के अगले दिन उत्सव मनाया जाता है । जिसे हम अन्नकूट के नाम से जानते हैं और उसे दिन से भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। प्राचीन शिवाला मंदिर के मुख्य पुजारी कर्ण त्रिपाठी और शिवालय मंदिर के श्रद्धालुओं की ओर से गोवर्धन पूजा पर खूबसूरत गार्डन पर्वत की झांकी और 56 भौग का प्रसाद वितरण किया गया।
इस अवसर पर पूर्व विधायक परमिंदर सिंह पिंकी ने कथा व्यास विनायक शास्त्री जी से आशीर्वाद लिया उनके साथ नगर कौंसिल अध्यक्ष रोहित ग्रोवर,ऋषि शर्मा , भारत विकास परिषद के सुभाष चौधरी शविंद्र मच्छराल, रमन शर्मा, हनुमान सेवा समिति से सूरज मेहता, बजरंग दल से राहुल धवन व नगर काउंसिल के पार्षद और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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