योग: तन और मन को स्वस्थ बनाने का माध्यम

रायबरेली
रिपोर्टर विपिन राजपूत
योग: तन और मन को स्वस्थ बनाने का माध्यम*
भगवान कृष्ण है योगेश्वर और योग के स्वामी ,यानि योग और ईश्वर : डा प्रवेश कुमार चौधरी
• योग ही जीवन है : डॉ. प्रवेश कुमार,राष्ट्रीय प्रवक्ता विश्व हिंदू परिषद
• योग से व्यक्ति निरोगी होता है और समाज के लिए महत्वपूर्ण बन जाता है – डॉ. प्रवेश कुमार
• योग का विकास प्राचीन भारत में ऋषि और योगियों द्वारा किया गया था – डॉ. प्रवेश कुमार
• योग शक्ति को दर्शाता है और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाता है – डॉ. प्रवेश कुमार
रायबरेली, 1 जून। शहीद स्मारक राणा बेनी माधव बक्श सिंह पार्क में मातृभूमि सेवा मिशन इकाई रायबरेली द्वारा 3 वर्षों से संचालित दैनिक नि:शुल्क योग प्रशिक्षण शिविर में विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. डा. प्रवेश कुमार चौधरी रविवार को सुबह योग शिविर में भाग लिया। डॉ. प्रवेश कुमार ने योग शिविर के शुभारंभ पर भारत मां के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया। मुख्य अतिथि का योग शिविर में पहुंचने पर जिला संयोजक एवं संरक्षक महेंद्र अग्रवाल, योगाचार्य बृजमोहन, योग प्रशिक्षिका सोनम गुप्ता, मंडल अध्यक्ष भगवत, योग साधक अजय मिश्रा और सुनील ओझा ने मालाओं से फूलमालाओं से स्वागत अभिनंदन किया। मुख्य अतिथि को प्रतीक चिन्ह में भगवान राम की छवि और अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया ।
डॉ. प्रवेश कुमार ने कहा कि वे मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा कराए जा रहे निशुल्क योग प्रशिक्षण शिविर से बहुत प्रेरित हुए और मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ श्री प्रकाश मिश्र की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम देश भर में होने चाहिए जिससे लोगों का तन और मन स्वस्थ हो सके। उन्होंने कहा कि योगेश्वर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है योग और ईश्वर। भगवान कृष्ण को योगेश्वर कहा जाता है, क्योंकि वे योग के स्वामी हैं। योग का मतलब होता है जुड़ना या इकट्ठा होना, जबकि ईश्वर का अर्थ होता है भगवान या स्वामी। इसलिए योगेश्वर का अर्थ है योग के माध्यम से अपने आप को भगवान के साथ जोड़ना या वह जो योग का स्वामी है। उन्होंने कहा कि योग की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी और अब पूरे विश्व में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रत्येक 21 जून को विश्व योग दिवस के माध्यम से दुनिया भर में पहुंचा दिया है। भगवान कृष्ण के समय में योग एक विकसित और परिष्कृत विज्ञान था जिसका उल्लेख भागवत गीता में भी मिलता है। भागवत गीता एक प्राचीन ग्रंथ है जिसमें भगवान कृष्ण ने अपने भक्त अर्जुन को योग के माध्यम से आत्मज्ञान और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाया है। योग शक्ति को दर्शाता है और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाता है। योग का विकास प्राचीन भारत में ऋषियों और योगियों द्वारा किया गया था। पतंजलि ऋषि ने योग सूत्रों की रचना की, जो योग के मूल सिद्धांतों और तकनीक को समझने वाले एक महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं। योग विभिन्न प्रकार के होते हैं, योग करने से व्यक्ति निरोगी होता है और वह स्वस्थ व्यक्ति समाज और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण बन जाता है। योग शिविर में बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चों ने भी सहभागिता की और योग के महत्व को समझा। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने डॉ. प्रवेश कुमार के विचारों से प्रेरणा ली और अपने जीवन में योग को शामिल करने का संकल्प लिया। योगाचार्य बृजमोहन और योग प्रशिक्षिका सोनम गुप्ता के द्वारा कराए जा रहे योग की सराहना की गई। जिला संरक्षक एवं समाजसेवी महेंद्र अग्रवाल ने हास्य कला को योग का सबसे बड़ा माध्यम बताया और कहा कि इसके जरिए रक्त का संचार होता है और मन प्रसन्न रहता है।कार्यक्रम का समापन भारत माता के जयकारों और वंदे मातरम से समापन हुआ। इस मौके पर बड़ी संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे भी उपस्थित रहे।