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केदारनाथ हेली टिकट बुकिंग में “दीवानगी या सिंडीकेट” चंद मिनटों में हजारों टिकट बुक, जांच की मांग

केदारनाथ हेली टिकट बुकिंग में “दीवानगी या सिंडीकेट” चंद मिनटों में हजारों टिकट बुक, जांच की मांग,
सागर मलिक

आईआरसीटीसी के आंकड़ों के मुताबिक, टिकट विंडो खुलने के चंद मिनटों के भीतर सात हजार से अधिक टिकट बुक हो गए

केदारनाथ धाम यात्रा के लिए हेली सेवा की टिकट बुकिंग शुरू होते ही चंद मिनटों में हजारों टिकट बुक हो गए. आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जैसे ही बुकिंग विंडो खुली, कुछ ही पलों में मई महीने के सारे स्लॉट फुल हो गए. इस अचानक हुई टिकट बुकिंग ने श्रद्धालुओं को जहां आश्चर्य में डाला, वहीं सिस्टम की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. अब यह बहस का विषय बन गया है कि यह बाबा केदारनाथ के प्रति लोगों की असीम श्रद्धा है या फिर किसी एजेंट सिंडीकेट द्वारा किया गया सुनियोजित खेल.

आईआरसीटीसी के आंकड़ों के मुताबिक, टिकट विंडो खुलने के चंद मिनटों के भीतर सात हजार से अधिक टिकट बुक हो गए. जबकि इस दौरान करीब 23 हजार से अधिक लोग बुकिंग प्रयास कर रहे थे. अधिकतर लोगों को ओटीपी नहीं मिला या वे प्रक्रिया पूरी करने से पहले ही स्लॉट खत्म हो गए. इसने पूरे सिस्टम पर संदेह खड़ा कर दिया है. गौरतलब है कि बुकिंग के लिए विस्तृत फॉर्म भरना होता है, और मोबाइल ओटीपी से पुष्टि की जाती है, इसके बावजूद इतनी तेज़ी से बुकिंग होना आम बात नहीं मानी जा रही.

उत्तराखंड सरकार ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए आईआरसीटीसी से टिकट बुकिंग में इस्तेमाल हुए आईपी एड्रेस की जानकारी तलब की है. इससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि इतनी बड़ी संख्या में टिकट आखिर कहां से और किस माध्यम से बुक किए गए. यदि एक ही लोकेशन या सीमित सर्वरों से टिकट बुक हुए हैं, तो यह एजेंट नेटवर्क के शामिल होने की पुष्टि कर सकता है.

यह पहला मौका नहीं है जब आईआरसीटीसी की ऑनलाइन प्रणाली पर सवाल उठे हैं. वर्ष 2022 में रेलवे टिकट बुकिंग में बड़े पैमाने पर घोटाला उजागर हुआ था. उस समय दलालों ने विदेशी सॉफ्टवेयर के जरिए कंफर्म टिकट ब्लैक में बेचना शुरू कर दिया था. हजारों फर्जी आईडी के माध्यम से टिकट बुक कर आम यात्रियों को ऊंचे दामों पर बेचा गया. इस पूरे रैकेट का भंडाफोड़ होने पर कई एजेंट गिरफ्तार हुए और बड़ी संख्या में आईडी बंद की गईं.

अब केदारनाथ हेली सेवा टिकट बुकिंग में भी वैसी ही रणनीति अपनाई गई हो, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. श्रद्धालु अब जानना चाहते हैं कि यह टिकट वास्तव में दर्शन के इच्छुक आम लोगों को मिले या फिर बिचौलियों ने टिकट कब्जा कर अब उन्हें ऊंचे दामों पर बेचने की योजना बनाई गई है,

आईआरसीटीसी की वेबसाइट को देश की सबसे सुरक्षित बुकिंग प्लेटफॉर्मों में से एक माना जाता है. लेकिन हकीकत यह है कि समय-समय पर इसकी सुरक्षा प्रणाली को भी हैक और बायपास किया गया है. ऐसे में यह दावा करना कि टिकट बुकिंग में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हो सकती, अपने आप में गलत साबित हो रहा है.

श्रद्धालुओं का कहना है कि यदि यह प्रक्रिया पारदर्शी और व्यवस्थित होती, तो हजारों लोग ओटीपी के इंतजार में मायूस न रहते. अधिकांश लोगों को ओटीपी ही नहीं मिला, जबकि उनके मोबाइल नंबर पहले से ही आईआरसीटीसी में पंजीकृत थे. इससे यह संदेह और गहराता है कि सिस्टम को बायपास कर किसी तकनीकी माध्यम से बड़े स्तर पर बुकिंग की गई.

केदारनाथ धाम के प्रति लोगों की आस्था निर्विवाद है. हर साल लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शनों के लिए कठिन यात्रा करते हैं. लेकिन टिकट बुकिंग जैसी व्यवस्था यदि पारदर्शी न हो, तो इससे न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचती है, बल्कि सरकार और प्रशासन की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ता है.

अब सभी की निगाहें उत्तराखंड सरकार और आईआरसीटीसी पर टिकी हैं कि क्या वे इस मुद्दे की गहराई से जांच कर दोषियों को सामने लाते हैं या फिर यह मामला भी समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जाएगा.

गौरतलब है कि श्री केदारनाथ धाम यात्रा 10 मई से शुरू होनी है, और हेली सेवा यात्रा का अहम हिस्सा मानी जाती है. ऐसे में यदि टिकट व्यवस्था में गड़बड़ी की पुष्टि होती है, तो यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए असुविधा का कारण बनेगा, बल्कि सरकार की तैयारियों पर भी सवालिया निशान लगाएगा.

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