हरियाणवी सांग के संरक्षण के लिए कला कीर्ति भवन में हुई प्रदेश के सांग कलाकारों की बैठक

हरियाणवी सांग के संरक्षण के लिए कला कीर्ति भवन में हुई प्रदेश के सांग कलाकारों की बैठक।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
अहम मुद्दों पर हुई चर्चा।
सांग विधा के संरक्षण और संवर्धन के लिए हरियाणा कला परिषद उठाएगी अहम कदम। नागेंद्र शर्मा।
कुरुक्षेत्र 01 मई : सांग लोक नाट्य की एक महत्वपूर्ण विधा है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में लोकप्रिय है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश के साथ-साथ हरियाणा में सांग का अत्याधिक प्रचलन है। किंतु वर्तमान समय में सांग विधा लुप्त होने की कगार पर खड़ी नजर आ रही है। आज का युवा पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर होने के कारण लोक संस्कृति से अनभिज्ञ है, जिसके कारण सांग विधा में युवा पीढ़ी रुचि नहीं लेती। ऐसे में सांग के संरक्षण और संवर्धन के लिए हरियाणा कला परिषद द्वारा कुरुक्षेत्र के कला कीर्ति भवन में प्रदेश के सांग कलाकारों की बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें प्रदेश के विभिन्न सांगियों ने हिस्सा लिया। हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में सांग कलाकारों ने सांग विधा को बचाने तथा युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए अपने-अपने विचार रखे। बैठक से पूर्व हरियाणा कला परिषद की ओर से समस्त कलाकारों को पगड़ी पहनाकर स्वागत किया गया। बैठक में चर्चा की गई कि सांग विधा को बचाने के लिए प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में सांग की कार्यशालाएं आयोजित की जाएं, जिससे युवा वर्ग को सांग से जुड़ने का अवसर प्राप्त हो। इसके अलावा गुरु शिष्य परम्परा प्रारम्भ की जाए, जिससे सांग कलाकार, संगीतज्ञों तथा अन्य कलाकारों के साथ-साथ सीखने वाले कलाकार को भी आजीविका का साधन मिल सके। इस बारे में नागेंद्र शर्मा ने आश्वासन देते हुए कहा कि हरियाणा कला परिषद के माध्यम से गुरु-शिष्य परम्परा प्रारम्भ करने के लिए मुख्यमंत्री हरियाणा तथा हरियाणा कला परिषद के अध्यक्ष को अवश्य निवेदन किया जाएगा। वहीं नागेंद्र शर्मा ने कहा कि प्रदेश के लगभग सभी सांग कलाकारों को अपने-अपने क्षेत्र में कार्यशाला आयोजित करने का अवसर दिया जाएगा, ताकि प्रत्येक सांग कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रचार करते हुए युवा वर्ग को सांग विधा से जोड़ सके।
साल के 365 दिन सांग कलाकारों को मिलेगा काम।
नागेंद्र शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार के सहयोग से हरियाणा कला परिषद नियम बनाएगी, जिसमें साल के 365 दिन प्रदेश में सांग कार्यक्रम आयोजित किये जाएं। सूर्य कवि पंडित लख्मीचंद के पौत्र विष्णु दत्त सांगी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सांग विधा से अश्लीलता को भी दूर करना चाहिए। कुछ सांग कलाकार लोगों के मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए मर्यादा को खो देते है तथा अश्लील नृत्य करवाना प्रारम्भ कर देते हैं। ऐसे में प्रत्येक सांग कलाकार को प्रण करना चाहिए कि अपने सांग में अश्लीलता का कोई स्थान न हो। वहीं हिसार से धर्मबीर सांगी ने कहा कि सांग कलाकार आजीवन सांग विधा के प्रचार-प्रसार में लगे रहते हैं। लेकिन संस्कृति बचाने के लिए उन्हें कोई मान-सम्मान नहीं मिलता। ऐसे में प्रदेश सरकार सांग कलाकारों तथा अन्य साजिंदों व नृतकों आदि को न केवल सम्मानित भी करे, बल्कि बुढ़ापा पेंशन की तरह कलाकारों की पेंशन भी प्रारम्भ करें। वहीं राजेश कुमार ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सांग संगीत के बिना अधुरा है। इसलिए संगीतज्ञों को भी एक विशेष पहचान दिलाई जाए। वेद प्रकाश अत्री तथा श्योनाथ त्यागी ने सांग कलाकारों के मानदेय में बढ़ौतरी करने के लिए भी निवेदन किया। नागेंद्र शर्मा ने कहा कि सभी के सुझावों पर विचार किया जाएगा तथा निकट भविष्य में प्रदेश के विभिन्न मण्डलों में सांग उत्सवों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सभी सांग कलाकारों को सांग मंचन का अवसर दिया जाएगा।
नृत्य दिवस, रंगमंच दिवस की तर्ज पर सांग दिवस भी किया जाएगा निर्धारित।
इसके अलावा नागेंद्र शर्मा ने कहा कि कला के क्षेत्र में नृत्य दिवस, संगीत दिवस, रंगमंच दिवस मनाया जाता है। लेकिन सांग का कोई भी ऐसा दिन तय नहीं है, जिसे सांग कलाकार एक त्योहार के रूप में मना सके। जिसके लिए उन्होंने सांग दिवस पर विचार करने की मांग रखी। इस पर सांग कलाकारों ने सहमति जताते हुए कहा कि हरियाणा में दादा शंकर दास की प्रणाली के सांगी हैं। इसलिए दादा शंकर दास की जयंती अथवा पुण्यतिथि को सांग दिवस घोषित कर देना चाहिए। जिस पर सहमति प्रकट करते हुए नागेंद्र शर्मा ने जल्दी ही इस सुझाव पर विचार कर सांग उत्सव का आयोजन करने का आश्वासन दिया। सांग कलाकारों ने हरियाणा कला परिषद द्वारा आयोजित होने वाले नाट्य उत्सवों में सांग मंचन को शामिल किए जाने के लिए नागेंद्र शर्मा का धन्यवाद किया। सांग कलाकारों की बैठक में रोहतक से राममेहर शर्मा, संजय कुमार, नितिन कुमार, कुरुक्षेत्र से बस्सेसर सिंह, जींद से राजेंद्र सिंह, राजेश कुमार, अशोक कुमार, नरेन सांगी, दीपक जुलाना, रतन सांगी, हिसार से समंदर सिंह, कृष्ण लाल लीला शास्त्री, सोनू भगाना, कृष्ण कुमार, कैथल से बलबीर शर्मा, करनाल से पंडित रामशरण शर्मा, सतपाल कश्यप आदि सांग कलाकार उपस्थित रहे।