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श्री गोविंदानंद आश्रम में नवरात्र महोत्सव पर शतचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति संपन्न

श्री गोविंदानंद आश्रम में नवरात्र महोत्सव पर शतचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति संपन्न।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

आश्रम में राम नवमी पर दक्षिण मुखी हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित प्राणप्रतिष्ठा संपन्न।

पिहोवा, 6 अप्रैल: श्री गोबिंदानंद आश्रम में महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्या गिरि जी महाराज,श्रीमहंत बंसी पुरी एंव महंत सर्वेश्वरी गिरी के सान्धिय में नवरात्रों के निमित चल रहे पाठात्मक सहस्त्र चंडी महायज्ञ का पूर्णाहूति, कन्या पूजन, संत- महात्माओं के प्रवचन एवं विशाल भंडारे के साथ समापन हुआ।
जानकारी देते हुए आश्रम की महंत सर्वेश्वरी गिरी ने बताया कि भारी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं द्वारा यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर पुण्य अर्जित किया गया। महायज्ञ में मुख्य यजमानों सहित अनेक गण्यमान्य जनों व संत महात्माओं ने पूर्णाहूति में भाग लेकर पुण्य अर्जित किया। कार्यक्रम में शामिल गण्यमान्य जनों को मंदिर प्रबंधन की ओर से सम्मानित किया गया।
उच्च कोटि के अनेक संत महात्माओं ने अपने मुखारविद से श्रद्धालुओं पर प्रवचनों की अमृतवर्षा की। दोपहर के समय कन्या पूजन के पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन हुआ। महिला संकीर्तन मंडल की अनेक सदस्यों ने अपने भजनों के माध्यम से महामाई का गुणगान किया गया।
कार्यक्रम में विशेष रूप से पहुंची महामंडलेश्वर 1008 महंत विद्या गिरी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि विभिन्न धार्मिक ग्रंथों के अनुसार त्रेतायुग में हुए राम-रावण युद्ध से पूर्व भगवान श्रीराम और द्वापर युग में हुए महाभारत के युद्ध से पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने भी अपने लक्ष्य की पूर्णता के लिए मां शक्ति की आराधना कर उनका आशीर्वाद लिया था। युद्ध से पूर्व रावण ने भी मां शक्ति की आराधना की थी किन्तु मां भगवती ने उसे ‘विजयश्री’ का नहीं अपितु ‘कल्याणमस्तु’ का आशीर्वाद दिया था। भारत साधु समाज के प्रदेशाध्यक्ष श्रीमहंत बंसी पुरी ने कहा कि यज्ञ एक श्रेष्ठ कर्म है इसे समय-समय पर किया जाना अति उत्तम है। यज्ञ द्वारा जहां मनुष्य को शक्ति मिलती है वहीं पर्यावरण की शुद्धि भी होती है। समाजसेवी जागीर मोर एवं विनोद सैनी ने आए हुए संत-महात्माओं, गण्यमान्य जनों, यजमानों व श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया। मंच संचालन उमाकांत शास्त्री ने बखूबी निभाया।
इस मौके पर महंत विश्वनाथ गिरी, महंत तरण दास, परमहंस ज्ञानेश्वर महाराज, महंत चमन गिरी, महंत जगन्नाथ पुरी, महंत शिवपुरी, महंत महेश मुनि, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, महंत विजय पुरी, महंत लाल गिरी, स्वामी लखनपुरी, स्वामी आशुतोष पुरी, महंत सुनील दास, महंत स्नेह दास आदि संत महात्माओं सहित संगमेश्वर सेवा दल के भूषण गौतम, सुनैहरा राम बेगपुर, रोशन लाल शर्मा, गौरव आहूजा, बारूराम बंसल, आदित्य बहल, विनोद बंसल, सतीश धवन, जय भगवान शर्मा,अक्षय नंदा, मोहित शर्मा, लखविंदर सेतिंया, सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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