बच्चों को धर्म प्रति जागरूक करना घर के बड़े बुजुर्गों, धार्मिक गुरुओं का कार्य है। अज्ञानता के कारण त्योहारों की दिशा बदली जा रही है-सचिन नारंग

(पंजाब)फिरोजपुर 15 मार्च [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=
बच्चों को अपने धर्म पति जागृत करना घर के बड़े बुजुर्गों और धार्मिक गुरु का कार्य है। लेकिन इसमें बहुत गिरावट आई जा रही है यह वचन अमृतवेला पर बात समिति के संस्थापक सचिन नारंग ने कहे हैं उन्होंने बताया है कि किसी भी त्यौहार को लेकर अज्ञानता के कारण कंट्रोवर्सी बनी रहती है। क्योंकि ज्ञान देने वाले बड़े बुजुर्गों और धर्म गुरुओं मैं अपने धर्म प्रतीक जागरूक करने में गिरावट आ गई है आज के युवा वेस्टर्न कल्चर को अडॉप्ट कर रहे हैं और युगों युगों से चला आ रहा सनातन को नहीं अपना रहे। उन्होंने यह भी कहा कि आखिर होली रंग बिरंगे रंगो का त्यौहार है,📖 पावन गुरबाणी, अनेक ग्रंथो में श्री हरी भक्त प्रहलाद की अपार भक्ती के बारे में बताया गया है, हरणाकश्यप की बहन जिसे ब्रह्मा से न जलने का वरदान प्राप्त था। हरी भक्त को जीवित पाकर सभी अगली सुबह रंग बिरंगे रंगो से होली का त्यौहार मनाया।दिन त्यौहार परमात्मा ने हमें जप, तप, ध्यान, साधना, सिमरण, दान के लिए बनाए थे, हम नशों की वासना के पीछे चल पड़े, दिन त्योहारों का स्वरूप ही बदल दिया, महत्व ही भूल गए, कारण कोई और नहीं हम स्वयम है बच्चों, युवाओं को दिन त्यौहारों का महत्व इतिहास बताया ही नहीं। *पंजाब मे रंग बिरंगे रंगो की जगह गेरू किसने शुरू किया,हर दिन त्यौहार पर शराब किसने शुरू की पूर्णिमा को पुण्य, सत्तकर्म कर दान, ध्यान, पूजा, सिमरण कर पुण्य अर्जित करने की बजाय पाप के भागीदार बन गए। अब आने वाले समय भविष्य में जब असहनीय कष्ट, दुःख, क्लेश, आएगा तो दोष परमात्मा को देंगे, स्वयम के कर्म नहीं देखेंगे, कम से कम दिन वार पूर्णिमा,महीना सक्रांति,चंद्र सूर्य ग्रहण, एकादशी, अमावस्या को देख़ लिया करें, बच्चों, युवाओं को आगाह कर दिया करें, पाप कर्म करने से बचा लिया करें ये किसी और की जिम्मेदारी नहीं आपकी जिम्मेदारी है। माता पिता बड़े बज़ुर्गो की जिम्मेदारी है। लेकिन युवाओं को भी बड़े बुजुर्गों और धार्मिक गुरुओं का कहना मानकर उसे पर अमल करना पड़ेगा।