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समर्थगुरु धाम माधोपुर में माया उपनिषद की रचना हुई : समर्थगुरू सिद्धार्थ औलिया

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
संवाददाता – उमेश गर्ग

हिमाचल माधोपुर : आचार्य कुंजबिहारी, स्टेट कोऑर्डिनेट समर्थगुरु संघ, हिमाचल प्रदेश ने जानकारी दी कि समर्थगुरु धाम माधोपुर में देश भर से साधक मित्रों ने परिवार सहित भाग लिया है और माया उपनिषद के साक्षी बने हैं। इसके साथ ही शब्द योग एवं मंगल प्रज्ञा की गंगा भी चल रही है। सभी साधक मित्र अपने परिवार सहित आदरणीय समर्थगुरु के सान्निध्य का आनन्द ले रहे हैं।
आदरणीय समर्थगुरू ने माया के गूढ़ रहस्य को बताया।
आज समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने माया उपनिषद् में माया से कैसे मैत्री करें और कैसे उससे मुक्त हों ?
इसके 12 अत्यंत महत्वपूर्ण उपाय बताए। उत्साह और उमंग से भरपूर उत्सव साधकों ने धूम धाम से मनाया।
ट्विटर के माध्यम से आदरणीय समर्थगुरू ने बताया कि संतोष और कर्मठता का जो संगम है, वह है निष्काम कर्मयोग। फल के प्रति संतोष है, फिर भी कर्मठता में कोई कमी नहीं है, पुरुषार्थ में कोई कमी नहीं है।
इस शुभ अवसर पर केंद्रीय संयोजक आचार्य दर्शन, पंजाब के संयोजक आचार्य डॉ. मुनिष, आचार्य अमरेश झा, जम्मू कश्मीर के संयोजक डॉ. विजय शर्मा, आचार्य गोपाल के साथ देश विदेशों से आए साधक उपस्थित रहें।
हिमाचल के जोनल कोऑर्डिनेटर आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि सनातन धर्म में सच्चे साधक के जीवन में जीवित पूर्ण सदगुरु की विशेष भूमिका होती है। त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के सदगुरु महर्षि वशिष्ठ जी थे। जिनसे संपूर्ण वेद और शास्त्रों का अनुभव ज्ञान प्राप्त किया। विश्व में सभी राम राज्य चाहते है। द्वापर युग में भगवान् श्री कृष्ण ने अपने सदगुरु संदीपनी जी से ध्यान और योग की दीक्षा ली और योगेश्वर कहलाए।

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