मस्तिष्क में तीव्र स्ट्रोक के उपचार में बचपन के खेलों की अहम भूमिका : डॉ. ज्योति सहगल
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : एक निजी होटल में मेदांता गुरुग्राम व आइएमए कुरुक्षेत्र के सहयोग से मस्तिष्क में तीव्र स्ट्रोक या लकवा-अधरंग व उसके उपचार के लिए डॉ. ज्योति सहगल डारेक्टर न्यूरोलॉजी , मेदांता द्वारा चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि जब ब्रेन में प्रॉब्लम या ब्रेन का अटैक आता है तो उसमें पेशेंट का अचानक से बोलना बंद कर देता है। वह लड़खड़ाने लगता है। उसके हाथ से चीजें गिर जाती हैं, मुंह टेढ़ा हेा जाता है तो उसका मतलब है कि नीड टू फास्ट करें। समय पर इलाज हो तो पेशेंट कंपलीट ठीक हो जाता है। ब्रेन अटैक में एंजियोग्राफी करवाएं और ब्रेन का सीटी स्कैन करवाएं। किसी और झाड़-फूंक की ओर न भागें। डा. ज्योति सहगल डारेक्टर न्यूरोलॉजी , मेदांता ने कहा कि अगर ब्रेन स्ट्रोक में मरीज चल नहीं पा रहा, बोल नहीं पाता तो ऐसे में फिजियोथैरेपी करवाएं व बचपन के खेलों का सहारा लें। मरीज के बचपन के गेम खिलवाएं। उसे एक बच्चे की तरह उसका उपचार करें और पॉजीटिव रहें। मरीज के परिवार के लोग सकारात्मक रहें। उस पर मेहनत करने जैसे पुराने गाने सुनाना, कॉमेडी शो दिखाएं। बहुत जरूरी है कि मरीज की फैमिली साथ रहें। आइएमए कुरुक्षेत्र के प्रधान डा. ऋषि पाल ने बताया कि अधरंग, दिमाग की नस फट अथवा ब्लॉक हो गई तो उस पर सीटी स्कैन तुरंत करवाएं, दूसरे किसी की बातों में न आएं। इस मौके पर डा. केदार गोयल, डा. भारद्वाज, डा. सेठी, डा. जेपी भरल , डा. विकास गोयल, डा. हिमांशु जैन, डा. अश्वनी, डा. दीपाली, डा. रूचि जैन, डा. बिमला गौरी व अन्य मौजूद रहे।