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स्किल की सिद्धि लाएगी हरियाणा में रोजगार की समृद्धि

प्रोफेसर दिनेश कुमार
कुलपति, श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय।

पलवल ( वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ) : कौशल आधुनिक युग का ब्रह्मास्त्र है। जिसके हाथ में कौशल है, वही सफल है। कौशल के बल पर सफलता अर्जित करने वाले देशों में जर्मनी, जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और स्विट्ज़रलैंड की गिनती होती है। प्रगति की इस पंक्ति में जर्मनी सबसे आगे है। जर्मनी ने ड्यूल एजुकेशन सिस्टम पर काम किया और दुनिया के सामने प्रभावी वोकेशनल एजुकेशन एन्ड ट्रेनिंग मॉडल रखा। इसमें विद्यार्थी स्कूल और इंडस्ट्री दोनों से साथ-साथ प्रशिक्षण लेते हैं। दीक्षांत तक वो विद्यार्थी अपने-अपने क्षेत्र में निष्णात हो जाते हैं। कौशल के इसी वैशिष्ट्य ने जर्मनी को उत्कृष्ट बना दिया। हरियाणा ने इस दिशा में एक उदाहरण प्रस्तुत किया और अपने परिवेश के दृष्टिगत अपना एक ड्यूल एजुकेशन सिस्टम विकसित करने की पहल की। सरकार का यह विजन श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के रूप में सामने आया। इस विश्वविद्यालय ने न केवल ड्यूल एजुकेशन सिस्टम का स्वदेशी मॉडल तैयार किया, बल्कि उसका प्रभावी क्रियान्वयन भी किया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘कौशल भारत, कुशल भारत’ के विजन को धरातल पर साकार करने की दिशा में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय अग्रदूत के रूप में उभरा है। हरियाणा सरकार ने इस मॉडल को स्कूल और कॉलेज स्तर पर क्रियान्वित करने की प्रतिबद्धता दिखाई है। स्कूल और कॉलेज स्तर पर ड्यूल एजुकेशन मॉडल लागू होते ही प्रदेश में कई बड़े परिवर्तन देखने को मिलेंगे। निकट भविष्य में उद्योगों की ज़रूरत के अनुसार ही कोर्स और ट्रेनिंग डिज़ाइन होने लगेंगे। इसके लिए औधोगिक भागीदारी को शैक्षिणक तंत्र में सहजता से मिश्रित करना होगा। मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने सभी विश्वविद्यालयों को ताकीद भी की है। कौशल संस्थानों और कौशल आधारित प्रोग्राम से हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग, मशीन लर्निंग और ऑन द जॉब ट्रेनिंग जैसी अवधारणाएं हकीकत में तब्दील होंगी। हरियाणा प्रदेश इसी आधार पर मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी में तेजी से अग्रसर होगा। स्किल्ड युवाओं को तुरंत रोजगार मिलेगा, क्योंकि वो शैक्षणिक संस्थानों से जॉब रेडी होकर निकलेंगे।
कृषि क्षेत्र में अग्रणी रहा हरियाणा अब कौशल विकास के क्षेत्र में राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर अग्रसर है। राज्य का लक्ष्य अब केवल युवाओं को रोजगार देना ही हीं, बल्कि उन्हें भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप तैयार करना भी है। हरियाणा सरकार का यह दृष्टिकोण “कौशल से समृद्धि” की अवधारणा को गति दे रहा है। नई तकनीकों के युग में केवल पारंपरिक शिक्षा अब पर्याप्त नहीं रही। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डाटा एनालिटिक्स, ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है। हरियाणा सरकार अब इन क्षेत्रों के लिए युवाओं को तैयार कर रही है, ताकि राज्य के युवा न केवल रोजगार प्राप्त करने वाले बल्कि रोजगार देने वाले भी बन सकें। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय इस कौशल विकास यात्रा में सारथी की भूमिका में है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल को सर्वोच्च वरीयता दी गई है और इसे क्रियान्वित करने की पहल सर्वप्रथम श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय द्वारा की गई। स्किल को स्कूल से शुरू करने का अनुपम प्रयास श्री विश्वकर्मा कौशल सीनियर सेकेंडरी स्कूल के माध्यम से शुरू हुआ है। यह देश का पहला इनोवेटिव स्किल स्कूल है। हरियाणा सरकार ने हर जिले में मॉडल कौशल स्कूल स्थापित करने की योजना बनाई है। ऐसे स्कूल प्रदेश में स्किल इको सिस्टम के लिए युवाओं की नई पौध तैयार करने में उपयोगी सिद्ध होंगे। स्कूली स्तर पर बच्चा जब स्किल प्रोग्राम पढ़ने लगेगा तो, उसके मस्तिष्क में नवाचार के अंकुर प्रस्फुटित होंगे। देश के प्रथम इनोवेटिव स्किल स्कूल में यह प्रयोग सफल हो चुका है। इस स्कूल में नौवीं कक्षा से विद्यार्थियों को उनकी अभिरुचि के अनुरूप दो स्किल सब्जेक्ट पढ़ाए जा रहे हैं। बोर्ड का परीक्षा परिणाम आया तो यह देख कर विस्मय हुआ कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों में कई बच्चों ने शत-प्रतिशत अंक प्राप्त किए। अन्य स्किल सब्जेक्ट में कई विद्यार्थियों ने पारम्परिक विषयों से अधिक अंक हासिल किए। यह कौशल विकास की दिशा में उठाए गए क़दमों की सफलता का शुभ संकेत है।
इसी तर्ज पर प्रदेश सरकार प्रत्येक जिले में मॉडल कौशल कॉलेज खोलने की योजना पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने प्रत्येक विश्वविद्यालय से उद्योगपतियों के सहयोग से कम से कम 10 प्रतिशत कौशल आधारित प्रोग्राम चलाने को कहा है। इससे युवाओं की रोजगार क्षमता विकसित होगी और इंडस्ट्री को प्रशिक्षित मानवीय संसाधन मिलेंगे। इसका सीधा असर बेरोजगारी को खत्म करने पर तो पड़ेगा ही साथ ही उत्पादन की क्षमता और गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होगी। हरियाणा राज्य अनुसन्धान कोष की स्थापना और उसके लिए 20 करोड़ रुपए का प्रावधान अपने आप में बड़ी पहल है। इस अनुसंधान के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने को भी कहा गया है, इससे एक पंथ दो काज होंगे। इंडस्ट्री और क्लासरूम के बीच का अंतर खत्म कर युवाओं को पढ़ाई के दौरान ही अधिक दक्ष एवं कुशल बनाया जा सकता है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक दुनिया की 100 से अधिक उभरती नौकरियों में से 50% से ज्यादा ऐसे होंगे जो कौशल आधारित होंगे। भारत को यदि वैश्विक स्किल कैपिटल बनना है, तो राज्यों को अपनी भागीदारी बढ़ानी होगी। इस दिशा में हरियाणा, श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के माध्यम से उदाहरण पेश कर रहा है। देश के कई अन्य राज्य भी कौशल पर काम कर रहे हैं, लेकिन हरियाणा ने स्कूली स्तर से ही कौशल को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाकर एक अनूठी पहल की है। इससे राज्य के युवा वैश्विक मांग के अनुरूप तैयार होंगे। हरियाणा में “इंटरनेशनल स्किल्ड वर्कफोर्स” सप्लाई करने वाला राज्य बनने की पूरी क्षमता है। हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन, आईटी व लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय मांग को देखते हुए विदेशी भाषाएं, सांस्कृतिक सेंसिटिविटी और ग्लोबल सर्टिफिकेशन पर ज़ोर दिया जा रहा है। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने जापानी और जर्मन भाषाओं के प्रोग्राम शुरू किए हुए हैं और इस वर्ष से कोरियन प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है। दूसरे विश्वविद्यालयों में भी फ्रेंच सहित कई भाषाएं सिखाई जा रही हैं। इन भाषाओं का स्किल के साथ तालमेल सोने पे सुहागा साबित होगा। हरियाणा सरकार ने युवाओं के हाथों को कौशल से सुसज्जित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम शुरू किया है।

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